एक शहर था..जिसमें दो डॉक्टर रहते थे……..पता नहीं कैसे दोनों में प्रेम हुआ….शायद दोनों के दोस्तों ने एक दूसरे को मिलाया…फिर मां बाप मिले और प्रेम हो गया….लड़का सांवला…सलोना सा
लड़की गोरी चिट्टी …..जैसी फिल्मों में होती है..
प्रेम कुछ महीने चला…गंगा के घाट पर, रेस्तरां में….आपरेशन थिएटर में….फिर शादी हो गई….
फिर पता नहीं क्या हुआ…..लड़की बार बार बेहोश हो जाती…लडके को चिंता हुई…जांच हुई.
डॉक्टर थे ही दोनों..पता चला लड़की को बीमारी है.. Pulmonary hypertension…
आम भाषा में कहें तो ये दिल की बीमारी होती है जिसमें दिल आधा काम करता है. जी हां ऐसी भी बीमारी होती है जिसमें दिल बस आधा काम करता है. मतलब कभी कभी दिल धड़कना रुक भी सकता है.
लोगों ने लड़की से कहा- शादी के बाद चिंता करने लगी है. टेंशन हो रहा है…सगे लोगों ने कहा…परेशान मत हो..लड़के ने माथा पकड़ लिया….बीमारी टेंशन की नहीं थी…
ये वो रेयर बीमारी थी जो लाखों में कुछ को होती है जिसमें दिल आधा काम करता है जिसमें रक्त शरीर में नहीं जाता…..लड़के ने माथा पीट लिया लोगों की बात सुनकर लेकिन प्रेम करना नहीं छोड़ा..इलाज चलता रहा.
इसी बीच लड़की गर्भवती हुई…डॉक्टरों ने कहा तुम मरना चाहती हो. लेकिन….बेटा पैदा हुआ छठे ही महीने में….बिना भौंहों का. बिना पलकों का. बिना होठों का..
बच्चा आईसीयू में. मां भी आईसीयू में….दोनों बच गए……बचे रहे..लेकिन मां की हालत खराब होती चली गई….
वो बार बार बेहोश होती रही..बच्चा बड़ा होता रहा लेकिन मां बाप बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाए..बच्चा साल भर का हो गया तो दिन रात टीवी देखने लगा…..फिर वही हुआ जो होना था…बच्चे को दुनिया से तालमेल करने में दिक्कत होने लगी.
डॉक्टरों ने बताया…बच्चे को ऑटिज्म हो सकता है बार्डरलाइन केस है…मां बाप ध्यान नहीं देते हैं……..मां ने बच्चे को उठाया और बोली..मेरा बच्चा है मेरी गलती है….वो दिन है और आज का दिन है ..
बच्चा अपने मां बाप से मुंह चूम चूमकर प्यार करता है..
छह महीने पहले बच्चे के बारे में डॉक्टरों ने बताया हाइपर एक्टिव है…वो भी एक बीमारी है…अब बच्चे की ट्रेनिंग होती है ताकि दिमाग स्थिर हो…चार साल का बच्चा गाड़ी का हर ब्रांड पहचान लेता है….नासा के वीडियो देखता है और एस्ट्रोनॉट बनना चाहता है…….
मां बच्चे को देखकर जीती है….उखड़ी सांसो में …सो नहीं पाती सीधी..तकिया लगाकर सोती है…वजन घटता जाता है वो जीती जाती है….फिर भी वो खुश रहते हैं..
डॉक्टर साब पॉजीटिव रहते हैं. कहते हैं…मैं पॉजीटिव लोगों से मिलता हूं अच्छा लगता है. भगवान को नहीं मानता…….प्रेम को मानता हूं…देखता हूं आगे क्या होता है.
फिल्मी लगी न कहानी…ये कहानी फिल्मी नहीं है..हम इस परिवार के साथ दो दिन रहे……पेंटिंग नहीं कर पाए…सोचते रहे…..हम सभी को अपना दुख ही बड़ा लगता है हमेशा जबकि….
( इस दंपत्ति का नाम नहीं बताएंगे..जो जानते हैं वो भी न बताएं…..हम उनका नाम लिखकर उनके संघर्ष और प्रेम को छोटा नहीं करना चाहते)