स्वर्ग है तो उसकी ब्रांच पंचकूला में है
जून की गर्मी, बुलेट की सवारी और 274 किलोमीटर की दूरी….धूल भरी आंधियों के बीच आंखें मिचमिचाते…धूप सोखते….रुकते रुकाते…शाम ढले पहुंचे थे उस घनी छांव में जिसका नाम था वीरेंद्र और रेणु सांगवान. घग्घर नदी के किनारा….डूबता हुआ सूरज और अंकल आंटी….एक आइडियाज़ से भरपूर दूसरी शांत…मुस्कुराती…ममत्व से लबरेज़. सितारों से स्वागत और फिर चाय[…]