गोलियां, बंदूक और रंग…ये जहानाबाद है.
जहानाबाद भी चलना है. बहुत ही गरीब बच्चे वहां आप दोनों का इंतज़ार कर रहे हैं. हमारे मित्र निराला जी ने जब जहानाबाद का नाम लिया तो हमारी पहली प्रतिक्रिया थी कि जहानाबाद तो नक्सली इलाक़ा है और दूर भी होगा न पटना से उन्होंने कहा नहीं नहीं बगल में ही है. वाकई सिर्फ पचास[…]