रंगों से पेंटिंग ही नहीं परिवार भी बनता है
सुबह सुबह पंखुड़ी की तस्वीर देखी तो कहीं बहुत कुछ याद आ गया. पंखुड़ी..कौन…अरे पंखुड़ी वही अपने गिरि बाबू की प्यारी सी बिटिया. पूर्णिया में मिला था तो गोद में आ गई थी. अब स्कूल जाने लगी है. उसका नाम मुझे पता नहीं क्यों पाखी याद था. शायद परी मेरे ज़ेहन में होगी. परी ……..परी[…]