अंतहीन आकाश और सपनों के रंग
अक्सर ही कोई बुलाता है…अपने घर…याद नहींं प्रियंवद ने कैसे बुलाया था…पर इतना याद है कि फोन पर बात करते समय प्रियंवद संयत और अत्यंत मधुर लगे थे….बात कैसे बढ़ी ये भी याद नहींं..लेकिन पहुंच गए थे हम पेंटिंग करने…..हम अपना अनुभव इस ब्लॉग के बाद साझा करेंगे लेकिन पहले प्रियंंवद और विभावरी ने जो[…]