रवि और काशा के के घर में सूरज और पेड़ ही बनना था. हालांकि ये ख्याल पेंटिंग पूरा होने के बाद आया है.
रवि का एक और अर्थ सूरज होता है और काशा वियज़बिस्का का सरनेम पेड़ से जुड़ा है. लेकिन ये बातें जेहन में पेंटिंग बनाने के बाद आई हैं शायद तभी कहते हैं कि कला पारलौकिक भी होती है. कई बातें अवचेतन से काम करती हैं.
रवि शाही और काशा वियज़बिस्का गोवा के एक गांव जैसे इलाके में रह रहे हैं. उनके घर में पेंटिंग करने की कोई योजना नहीं थी. फोन पर बात हुई किसी ने नंबर दिया था.
The Goa Experience in English- Flying with Pari in Goa
मुलाकात के लिए ब्रेकफास्ट पर बुलाया गया और यह बैठक लंच के बाद तक चली. इस दौरान रवि-काशा की नौ महीने की बेटी परी ने हमारा मन मोह लिया.
काशा ने हमें दीवारें दिखाईं और इतना ही कहा कि हम प्रकृति से जुड़ा कुछ भी बनाएं.
मीनाक्षी ने उगता हुआ सूरज और पेड़ बनाने की ठानी. लताओं वाला पेड़. उगता हुआ सूरज इसलिए क्योंकि अल्लसुबह रवि के घर आते हुए हमने उगता हुआ रक्तिम सूरज देखा था.
काम दूसरे दिन शुरु हुआ और जैसे जैसे सूरज और पेड़ की लताएं बननी शुरु हुईं. काशा और रवि बार बार आकर दीवार को निहारने लगे.
एक औपचारिक सी शुरुआत भावनात्मक रिश्ते में बदलने लगी.
मैंने काशा से पूछा- कोई खास बात??
फिर काशा ने जो बात बताई वो हमें चौंकाने वाली थी.
काशा ने बताया कि जो पेड़ मीनाक्षी ने बनाया है जो पोलैंड में होने वाले वियज़बा पेड़ से मिलता जुलता है. और इसी पेड़ से काशा को उसका सरनेम वियज़बिस्का मिला है.
हम चौके और पूरी जानकारी मांगी.
काशा ने जो बताया वो उसके शब्दों में कुछ यूं था- ” मैं इस पेड़ से एक कनेक्शन सा महसूस कर रही हूं क्योंकि ये पेड़ वियज़बा पेड़ जैसा है. मेरे चाचा जी ने एक बार हमारे पंद्रह पुश्तों का इतिहास बनाया तो हमें पता चला कि हमारा पारिवारिक नाम वियज़बित्से है जो वियज़बा गांव से आया है जहां वियज़बा के पेड़ होते थे.”
लेकिन पारिवारिक नाम वियज़बित्से है तो तुम्हारा नाम वियज़बिस्का क्यों है. मैंने काशा से पूछा.
काशा ने फिर पोलैंड के सरनेम्स के बारे में रोचक जानकारी दी. पोलैंड में अगर पारिवारिक नाम वियज़बित्से है तो महिलाओं का सरनेम होगा वियज़बिस्का औऱ पुरुषों का सरनेम होगा वियज़बिस्की.
इस जानकारी के बीच पेंटिंग लगभग पूरी होती रही और फिर जब सुशील ने पत्तों में रंग भरने शुरु किए तो काशा ने भी रंग भरने की इच्छा जताई.
हमने ब्रश उसके हाथ थमा दिया और पेशे से मॉडल रही काशा ने अपने सधे हाथों से रंग भरना शुरु किया.
यह बताता चलूं कि रवि पहले पायलट थे और अब गोवा में अपना व्यवसाय करते हैं. काशा मॉडलिंग के लिए भारत आई थीं और अब यहीं की होकर रह गई हैं.
काशा के साथ उनके यहां बच्ची की देखभाल करने वाली शकुंतला ने भी पत्तों में रंग भरे और यह देखकर रवि की भी इच्छा हो आई .
बस परी इस पेंटिंग से दूर थी. हमने सोचा क्यों न नौ महीने की परी को भी जोड़ा जाए. फिर क्या था. हमने निकाला उपाय.
परी के पैरों को हमने रंग दिया और उसे चला दिया ताकि उसके पैरों के छाप उकर आएं पेंटिंग पर. ये काम रवि से ही संभव था और उन्होंने बखूबी परी के पैरों के निशान बनवा दिए.
इस तरह गोवा में ये पेंटिंग पूरी हो गई. जो रिश्ता अनियोजित और औपचारिकताओं से शुरु हुआ था वो एक गहरे रिश्ते में बदल चुका था.
जीवन और यात्राएं ऐसी ही अनियोजित होनी चाहिए तभी जीवन का असली आनंद आता है.
और हां अगर आप सूरज के ऊपर कुछ पक्षी देख रहे हैं तो आप मान सकते हैं कि वो मीनाक्षी और सुशील हैं जो रवि काशा और परी से मिलने आए थे और एक रिश्ता बना कर आगे बढ़ गए.
फिर कभी भी इस परिवार को न भूलने के लिए.
रोचक वृत्तांत।
आपको पढ़ने के बाद हमेशा यह अफसोस होता है कि यह यहीं खत्म क्यों हो गया, इसे और होना चाहिए।