रंगों से पेंटिंग ही नहीं परिवार भी बनता है

सुबह सुबह पंखुड़ी की तस्वीर देखी तो कहीं बहुत कुछ याद आ गया. पंखुड़ी..कौन…अरे पंखुड़ी वही अपने गिरि बाबू की प्यारी सी बिटिया. पूर्णिया में मिला था तो गोद में आ गई थी. अब स्कूल जाने लगी है.

Preparing for the travel to south

Preparing for the travel to south

उसका नाम मुझे पता नहीं क्यों पाखी याद था. शायद परी मेरे ज़ेहन में होगी. परी ……..परी वही जिससे गोवा में मिला था. नौ महीने की प्यारी सी परी. जो कैमरा देखते ही होंठ सिकोड़ कर मुंह चिढ़ाती थी. वही परी जो बांगो पर थाप मारती थी. वही परी जो घुटनों के बल चल कर आपकी गोद में चढ़ जाती थी. वही परी जो हम दोनों से इतनी घुल मिल गई थी कि तीन दिन बाद जब हम लौटने लगे तो वो अपने मां पापा की गोद से मचल कर हमारे पास आना चाह रही थी.

Who will not love this Diva. of course its Pari.

Who will not love this Diva. of course its Pari.

वही परी जिसके साथ मैं घंटो खेलता रहा था. वही परी जिसने हम दोनों (मीनाक्षी और मुझे) को रवि और काशा के साथ बांध दिया था.

जब हम पहली बार रवि और काशा से गोवा में मिले थे पेंटिंग के सिलसिले में तो हम दाढ़ी वाले रवि से डर गए थे और हम दोनों ने अपना पूरा ध्यान परी पर केंद्रित कर दिया था. रवि को शायद ये बात बहुत अच्छी लगी कि परी हमसे कुछ ही घंटों में घुल मिल गई थी.

Kuggi is already a star modelling for a hotel chain

Kuggi is already a star modelling for a hotel chain

जुड़ने के लिए बच्चों की खिलखिलाहट से पवित्र और क्या होगा. परी की याद कल रात भी आ रही थी. और साथ ही याद आई कुग्गी भी.

कुग्गी मुंबई के वर्सोवा में मिली थी. वो पहले भी घर आकर अपने मन से पेंटिंग कर चुकी है. वर्सोवा में मिले तो उसे लाल हाथी बनाना था. जब बालकनी पर पेंटिंग बन गई तो कुग्गी ने कहा मुझे गोल्डन फूल बनाना है.

वो आज भी मीनाक्षी को गुरुजी बोलती है और मुझे जे…..मैं उसका दोस्त हूं जे.

Butu will keep talking to you till you..are exhausted

Butu will keep talking to you till you..are exhausted

टूटू बूटू गोवा में मिले थे. बुटू सबकी बोलती बंद कर देती है. उसी ने कहा था गर्ल फिश और कैटरपिलर फिश बनाने को. बना के दिखाया भी. स्कूल जाती है और किसी सवाल का जवाब न मिलने पर कहती है. आपको इतना भी नहीं पता. आपको स्कूल आना चाहिए मेरे साथ.

Taha and Sara in IIT Madrs

Taha and Sara in IIT Madrs

लेकिन सारा कुछ नहीं कहती. वो भी आठ नौ महीने की है. थोड़ी शांत है. अपने मां की गोद से कम उतरती है लेकिन कुछ ही घंटों में हमारी गोद में आने लगी थी. शायद अपने बड़े भाई से डरती है जो नर्सरी में पढ़ता है. नाम है ताहा. ताहा मियां छोटे बछड़े की तरह अपने बाप के चक्कर काटते हैं दिन भर और सवाल पूछने पर कहते हैं- चाचू खेलो मेरे साथ.

Amrit trying his hands on the painting

Amrit trying his hands on the painting

सारे बच्चे याद आ रहे हैं अमृत सातवीं क्लास में हैं. इतनी जल्दी जल्दी अंग्रेज़ी बोलता है कि समझ से परे. हमने रोका- बॉस थोड़ा स्लो. हाथ उचका कर बोला- ओकेज़. मैंने कहा क्या पेंटिंग चाहिए. बोला – आई वांटेड एन ईगल बट नाउ आई सॉ योर पेंटिंग्स सो फिश वुड भी बेटर. बहुत मैच्योर है लड़का. अच्छा कीबोर्ड बजाता है और शांत रहता है.

Zara loves bird watching

Zara loves bird watching

हां कीबोर्ड तो ज़ारा भी बजाती है. ज़ारा वायलिन भी बजाती है. वो दस साल की है. दुबली पतली ज़ारा के बारे में उसके बड़े भाई फिरोज ने बताया था कि वो जल्दी घुलती मिलती नहीं है लेकिन रंगो का कमाल था. दूसरे ही दिन ज़ारा ने कहा. सुशील अन्ना- मीनाक्षी अक्का मैं आपको ब्लू स्टोन फैक्ट्री दिखाने ले जाऊंगी.

फिर हम चार पांच बच्चे निकल पड़े साइकिल से ब्लू स्टोन फैक्ट्री देखने. होसूर में ज़ारा हमारी सबसे अच्छी दोस्त. उसे बर्ड वाचिंग पसंद है. मेरे पास एक दूरबीन थी जो मैं इस्तेमाल नहीं करता था. पता नहीं क्यों साथ ले गया था. मुझे लगा ज़ारा के लिए इससे बेहतर तोहफा नहीं हो सकता.

ज़ारा ने झिझकते हुए लिया और मुस्कुराई. उस मुस्कुराहट में एक बात छिपी थी कि आप दोनों मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं. ये छोटे छोटे रिश्ते आज बहुत याद आ रहे हैं. ज़ारा, अमृत, परी, सारा, ताहा, कुग्गी आज सब बहुत याद आ रहे हैं.

परी पिछले नौ महीनों में तीन बार मिली. रवि अपने काम से जब भी दिल्ली आया तो परी को लेता आया. कल ज़ारा आने वाली है हमसे मिलने.

रंगों से सिर्फ पेंटिंग नहीं बनती. परिवार भी बनता है.

(2014 फरवरी में पुणे से चेन्नई की यात्रा के दौरान जिन बच्चों से मिला था उन्हीं को याद करते हुए)